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हिंदी कविता 'बेटी ही बचाएगी'

बेटी ही बचाएगी बेटी ही बचाएगी, देश, समाज, परिवार, इसको भी दे दो, जीने का अधिकार।। भोली है, भली है, देखो गुड़ की डली है ये, कंस, रावण ने हर युग में छली है ये। शक्ति-स्वरूपा बन अन्याय से लड़ेगी ये, दुर्गा, काली सम शत्रु-दमन करेगी ये। कर्मों की खुशबू से महकाएगी संसार, सारे जग में होगी इसकी भी जय-जयकार। बेटी ही बचाएगी, देश, समाज, परिवार, इसको भी दे दो, जीने का अधिकार।। बेटों पर कर लिया विश्वास बार-बार, एक बार दे के देखो इसको भी वही प्यार। माँ-बाप को सपने में भी न ये सताएगी, दुःख के आँसू न कभीे उन्हें रुलाएगी। बेटी बिन बाबुल का सूना है घर-द्वार, माँ की ममता भी बिन बेटी हुई लाचार। बेटी ही बचाएगी, देश, समाज, परिवार इसको भी दे दो, जीने का अधिकार।।