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HINDI ARTICLE, मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् हमें जन्म देने वाली माँ तथा हमारी जन्मभूमि हमें स्वर्ग से भी प्रिय होती है। सोचिए, स्वर्ग की कल्पना करते समय हमारे सामने एक ऐसे स्थान की छवि आ जाती है, जहाँ किसी प्रकार का रोग-शोक-कष्ट न हो, किसी प्रकार का कोई अभाव न हो, जहाँ सभी प्रकार के सुख हों, जहाँ सभी लोग प्रेम-स्नेह एवं सद्भाव से रहते हों। और जब हम अपनी जन्मदात्री तथा अपनी धरती माँ, अपने देश की तुलना उस स्वर्ग से करते हैं और इन्हें स्वर्ग से भी अधिक महान समझते हैं तो निश्चय ही हमें यह मानना पड़ेगा कि हमारी जन्मदायिनी माँ तथा हमारी पोषिता धरती माँ हमारे लिए बहुत श्रद्धेय, पूज्य और पावन है। मैंने जिस देश की धरती पर जन्म लिया है-वह देश है ‘भारतवर्ष’। वास्तव में समूचे विश्व में यही ऐसा विशिष्ट देश है, जिसे ऋषि-मुनियों एवं अवतारों की भूमि कहा जाता है। इसकी भाषा (संस्कृत) देवभाषा कहलाती है, इसका राज्य (उत्तराखंड) देवभूमि कहलाता है। इसके राज्य ‘कश्मीर’ को धरती का स्वर्ग कहा जाता है तो पूरे देश को विश्व की सभी संस्कृतियों का केंद्र। यहाँ का प्रत्येक राज्य अपनी अलग वि

HINDI POEM मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो

मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो  तुम फूल बनके हमेशा ही खिलना, किसी के पथ का काँटा न बनना, मील का पत्थर यदि साबित न हो, तो भी राह का रोड़ा कभी न बनना। आँधियाँ, बिजलियाँ डरपाती रहें पर, सत्य-मार्ग से न कदम पीछे रखना, जीवन का सफ़र भले हो मुश्किल, कर्तव्य से अपने कभी तुम न डिगना।। सूरज भले बन न पाओ अगर, नन्हा दीप ही बनके हरदम चमकना, ऊँची चोटी छू न पाओ ग़म नहीं, कदमों को मगर सदा आगे ही रखना। चाँद-तारे न तोड़ सको न सही, पर मुट्ठी में अपनी ज़माने को रखना, किसी की नज़रों में भले न चढ़ो, पर अपनी निगाहों में कभी न गिरना।। दिलों से दिलों का रिश्ता न टूटे, यत्न हमेशा इतना भर करना, मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो, बाकी धर्मों को पीछे ही रखना।   भले ही जाओ दुनिया में कहीं भी, तसवीर दिलों में भारत की रखना, सीने में देशभक्ति, हाथों में तिरंगा, होठों पर सदा वंदे मातरम् रखना।।