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अहंकारी राजा (Hindi story)

अहंकारी राजा एक राजा था। उसे अपनी धन-दौलत पर बहुत अभिमान था। एक बार उसके राज्य में एक साधु-महात्मा जी आए। वह वहाँ एक मंदिर के पास बने आश्रम में रहने लगे और प्रतिदिन सुबह-शाम लोगों को प्रवचन देने लगे। उस साधु की विद्वता की चर्चा सब ओर होने लगी। प्रतिदिन लाखों लोगों की भीड़ उस साधु के उपदेश-प्रवचन सुनने के लिए उमड़ने लगी।  एक बार साधु की चर्चा राजा के कानों में भी पहुँची। राजा ने अपने सिपाहियों को आदेश दिया, "जाओ, जाकर उस साधु को महल में बुलाकर लाओ। मैं उनसे प्रवचन सुनना चाहता हूँ।"  सिपाही साधु-महात्मा जी के पास गए और उनसे कहा, "महात्मा जी, आपको हमारे राजा ने बुलाया है। वह आपके प्रवचन सुनना चाहते हैं।"  साधु ने जाने से इंकार कर दिया और कहा, "मैं अपनी इच्छा से लोगों को प्रवचन देता हूँ। मैं किसी के बुलाने पर कहीं नहीं जाता। यदि राजा को प्रवचन सुनने हैं, तो उन्हें अन्य लोगों की भाँति आश्रम में आना होगा।"   सिपाहियों ने कहा, "आपको प्रवचन के बदले राजा बहुत-सा धन देंगे।" साधु ने कहा, "मेरे लिए ईश्वर का नाम ही सबसे बड़ा धन है। मैं साधु हूँ, मुझे भला