मेरे सपनों का भारत ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् हमें जन्म देने वाली माँ तथा हमारी जन्मभूमि हमें स्वर्ग से भी प्रिय होती है। सोचिए, स्वर्ग की कल्पना करते समय हमारे सामने एक ऐसे स्थान की छवि आ जाती है, जहाँ किसी प्रकार का रोग-शोक-कष्ट न हो, किसी प्रकार का कोई अभाव न हो, जहाँ सभी प्रकार के सुख हों, जहाँ सभी लोग प्रेम-स्नेह एवं सद्भाव से रहते हों। और जब हम अपनी जन्मदात्री तथा अपनी धरती माँ, अपने देश की तुलना उस स्वर्ग से करते हैं और इन्हें स्वर्ग से भी अधिक महान समझते हैं तो निश्चय ही हमें यह मानना पड़ेगा कि हमारी जन्मदायिनी माँ तथा हमारी पोषिता धरती माँ हमारे लिए बहुत श्रद्धेय, पूज्य और पावन है। मैंने जिस देश की धरती पर जन्म लिया है-वह देश है ‘भारतवर्ष’। वास्तव में समूचे विश्व में यही ऐसा विशिष्ट देश है, जिसे ऋषि-मुनियों एवं अवतारों की भूमि कहा जाता है। इसकी भाषा (संस्कृत) देवभाषा कहलाती है, इसका राज्य (उत्तराखंड) देवभूमि कहलाता है। इसके राज्य ‘कश्मीर’ को धरती का स्वर्ग कहा जाता है तो पूरे देश को विश्व की सभी संस्कृतियों का केंद्र। यहाँ का प्रत्येक राज्य अपनी अलग वि...