मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो
तुम फूल बनके हमेशा ही खिलना, किसी के पथ का काँटा न बनना,
मील का पत्थर यदि साबित न हो, तो भी राह का रोड़ा कभी न बनना।
आँधियाँ, बिजलियाँ डरपाती रहें पर, सत्य-मार्ग से न कदम पीछे रखना,
जीवन का सफ़र भले हो मुश्किल, कर्तव्य से अपने कभी तुम न डिगना।।
सूरज भले बन न पाओ अगर, नन्हा दीप ही बनके हरदम चमकना,
ऊँची चोटी छू न पाओ ग़म नहीं, कदमों को मगर सदा आगे ही रखना।
चाँद-तारे न तोड़ सको न सही, पर मुट्ठी में अपनी ज़माने को रखना,
किसी की नज़रों में भले न चढ़ो, पर अपनी निगाहों में कभी न गिरना।।
दिलों से दिलों का रिश्ता न टूटे, यत्न हमेशा इतना भर करना,
मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो, बाकी धर्मों को पीछे ही रखना।
भले ही जाओ दुनिया में कहीं भी, तसवीर दिलों में भारत की रखना,
सीने में देशभक्ति, हाथों में तिरंगा, होठों पर सदा वंदे मातरम् रखना।।
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