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HINDI POEM मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो

मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो 

तुम फूल बनके हमेशा ही खिलना, किसी के पथ का काँटा न बनना,
मील का पत्थर यदि साबित न हो, तो भी राह का रोड़ा कभी न बनना।
आँधियाँ, बिजलियाँ डरपाती रहें पर, सत्य-मार्ग से न कदम पीछे रखना,
जीवन का सफ़र भले हो मुश्किल, कर्तव्य से अपने कभी तुम न डिगना।।

सूरज भले बन न पाओ अगर, नन्हा दीप ही बनके हरदम चमकना,
ऊँची चोटी छू न पाओ ग़म नहीं, कदमों को मगर सदा आगे ही रखना।
चाँद-तारे न तोड़ सको न सही, पर मुट्ठी में अपनी ज़माने को रखना,
किसी की नज़रों में भले न चढ़ो, पर अपनी निगाहों में कभी न गिरना।।

दिलों से दिलों का रिश्ता न टूटे, यत्न हमेशा इतना भर करना,
मानवता का धर्म ही सबसे बड़ा हो, बाकी धर्मों को पीछे ही रखना।  
भले ही जाओ दुनिया में कहीं भी, तसवीर दिलों में भारत की रखना,
सीने में देशभक्ति, हाथों में तिरंगा, होठों पर सदा वंदे मातरम् रखना।।

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स्वर्ग में मोबाइल कनैक्शन स्वर्ग में से स्वर्गवासी झाँक रहे धरती पर इंद्र से ये बोले कुछ और हमें चाहिए। देव आप कुछ भी तो लाने देते नहीं यहाँ,  कैसे भोगें सारे सुख आप ही बताइए। इंद्र बोले कैसी बातें करते हैं आप लोग, स्वर्ग जैसा सुख भला और कहाँ पाइए।  बोले स्वर्गवासी एक चीज़ है, जो यहाँ नहीं, बिना उसके मेनका और रंभा न जँचाइए। इंद्र बोले, कौन-सी है चीज़ ऐसी भला वहाँ, जिसके बिना स्वर्ग में भी खुश नहीं तुम यहाँ? अभी मँगवाता हूँ मैं बिना किए देर-दार, मेरे स्वर्ग की भी शोभा उससे बढ़ाइए। बोले स्वर्गवासी, वो है मोबाइल कनैक्शन, यदि लग जाए तो फिर दूर होगी टेंशन। जुड़ जाएँगे सब से तार, बेतार के होगी बात, एस0 एम0 एस0 के ज़रिए अपने पैसे भी बचाइए। यह सुन इंद्र बोले, दूतों से ये अपने, धरती पे जाके जल्दी कनैक्शन ले आइए। दूत बोले, किसका लाएँ, ये सोच के हम घबराएँ, कंपनियों की बाढ़ है, टेंशन ही पाइए। स्वर्गवासी बोले भई जाओ तो तुम धरती पर, जाके कोई अच्छा-सा कनैक्शन ले आइए। बी0एस0एन0एल0 का लाओ चाहें आइडिया कनैक्शन जिओ का है मुफ़्त अभी वही ले आइए। धरती

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