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जुलाई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Hindi motivational story, dil ka ghav (दिल का घाव)

  दिल का घाव बात बहुत पुराने समय की है। जब लोग पैदल ही यात्राएँ किया करते थे। एक बार कुछ लोगों का समूह यात्रा करते समय एक घने जंगल से गुज़र रहा था। तभी सबने एक शेर की आवाज़ सुनी। सब डर के कारण इधर-उधर भागने लगे। शेर बोला, "डरो मत, मैं तो खुद ही संकट में हूँ। मेरे पैर में एक काँटा लगा हुआ है। न मैं चल पा रहा हूँ, न शिकार कर पा रहा हूँ। मैं काँटे से बहुत पीड़ित हूँ। कृपया मेरा काँटा निकाल दें। मेरी सहायता करें।" लेकिन किसी की भी हिम्मत शेर के पास जाने की नहीं हो रही थी। उन्हें लगा कि कहीं यह शेर की चाल न हो। उस समूह में रामदास नाम का एक व्यक्ति भी था। उसे शेर की बात में सच्चाई लगी। उसने लोगों से शेर की सहायता करने के लिए कहा, परंतु कोई भी जोखिम उठाने को तैयार न हुआ। सभी लोग आगे बढ़ गए। परंतु रामदास ने शेर की सहायता करने की ठानी। वह डरते हुए शेर के पास गया। उसने देखा, शेर अपना दाहिना पैर ऊपर की ओर उठाए हुए था‌। उस पैर के पंजे में बहुत बड़ा काँटा चुभा हुआ था और शेर के पंजे से रक्त बह रहा था। काँटे की चुभन से शेर दुख के मारे तड़प रहा था। रामदास ने शेर से कहा, "मैं तुम्हारे पै...

Hindi story

"हे भगवान! आज फिर कपड़ों पर स्याही के छींटे! लगता है, आज भी किसी से झगड़ा करके आया है।" "रोहित! इधर तो आ ज़रा।" मालती ने अपने नौ वर्षीय बेटे को पुकारा।  "हाँ मम्मी, आपने मुझे बुलाया।" "हाँ बेटे, यह बताओ आज किस से झगड़ा हुआ है?" "किसी से भी तो नहीं" रोहित ने कुछ घबराते हुए कहा।  "देख! झूठ मत बोल। सच-सच बता। तेरी कमीज़ पर स्याही किसने फेंकी है।" "वो.……स्या…ही..वो तो मम्मी अनुभव से गलती से गिर गई" हकलाते हुए रोहित ने कहा। "गलती से गिर गई…..मुझसे कुछ भी मत छुपा। मैं सब जानती हूँ कि गलती से गिरी है या फिर अनुभव ने जानबूझकर फेंकी होगी। वैसे भी स्याही के छींटे तेरी कमीज़ में सामने की तरफ़ हैं। यहाँ सामने की तरफ़ भला गलती से स्याही कैसे गिर सकती है। ये तो जानबूझकर छिड़की गई छींटें हैं।" "सच-सच बोल दे, वरना……" रोहित द्वारा अनुभव का बचाव किए जाने पर मालती आग-बबूला हो उठी। "मम्मी! असल में अनुभव मुझसे रंग माँग रहा था। आपने कहा था न कि ये रंग बहुत महँगे हैं, किसी को मत देना। बस, मैंने देने से मना कर दिया ...

छुट्टियों के बाद स्कूल लौटे बच्चों के स्वागत में कविता (नन्हीं कोंपलों का फिर से स्वागत है!)

जैसा कि हम देख रहे हैं कि गरमी की लंबी छुट्टियों के बाद, स्कूल के आँगन में रौनक लौट आई है। आप बच्चों से ही स्कूल का हर कोना आबाद है। आप बच्चों का फिर से स्कूल आना, एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार कर रहा है।  इस अवसर पर मैं एक कविता प्रस्तुत करने जा रही हूं, जिसका शीर्षक है  - नन्हीं कोंपलों का फिर से स्वागत है! खुशियाँ लिए, बस्ते टाँगे, फिर तुम लौटे प्यारे बच्चो। हंसी तुम्हारी गूँज रही है, विद्या के प्रांगण में अब तो। खाली था हर कोना पहले, सूना था हर गलियारा। अब तुम संग अपने लाए हो, खुशियों का इक उजियारा।। पंख लगाकर सपनों को अब, फिर से तुमको उड़ना है। नई किताबों के पन्नों पर, ज्ञान की सीढ़ी चढ़ना है।। हम शिक्षक भी देख रहे थे, राह तुम्हें पढ़ाने को। नया सवेरा आया है देखो, फिर खुशियाँ बिखराने को।। चलो मिलकर वचन लेते हैं, न छोड़ेंगे साथ परिश्रम का,  अभ्यास, लगन और एकाग्रता ही, लक्ष्य बने अब जीवन का। स्नेह और ज्ञान की गंगा, मिलकर फिर से बहाएँगे।। विद्या के इस मंदिर को, ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। स्वागत है तुम्हारा प्यारे बच्चो, ज्ञान की इस दुनिया में।  खिलते रहो तुम फूल के जै...

अनुच्छेद दादी माँ

मेरी दादी माँ बहुत प्यारी हैं। उनकी उम्र लगभग 65 साल है। उनके बाल सफेद हैं और वे हमेशा एक साड़ी पहनती हैं। उनकी आँखों में बहुत प्यार और ममता है। दादी माँ सुबह जल्दी उठती हैं और पूजा करती हैं। वे हमें कहानियाँ सुनाती हैं और भजन गाती हैं। जब हम स्कूल से आते हैं, तो वे हमें गरमा गरम खाना खिलाती हैं। उन्हें खाना बनाना बहुत पसंद है और वे बहुत स्वादिष्ट पकवान बनाती हैं। दादी माँ हमें अच्छी बातें सिखाती हैं। वे कहती हैं कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, बड़ों का आदर करना चाहिए और सबकी मदद करनी चाहिए। वे हमें पढ़ाई में भी मदद करती हैं। जब हम कोई गलती करते हैं, तो वे हमें प्यार से समझाती हैं। दादी माँ को बागवानी का भी बहुत शौक है। उन्होंने अपने छोटे से बगीचे में सुंदर फूल और सब्जियाँ लगाई हैं। वे पौधों की देखभाल करती हैं और हमें भी उनके साथ काम करना सिखाती हैं। शाम को हम सब दादी माँ के पास बैठकर बातें करते हैं। वे हमें अपने बचपन की कहानियाँ सुनाती हैं, जो बहुत मजेदार होती हैं। दादी माँ के साथ समय बिताना मुझे बहुत अच्छा लगता है। वे मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और मैं उनसे बहुत प...

मेरी प्यारी दादी Meri pyaari dadi

मेरी दादी  मुझे आज भी याद है वह दिन, जब मेरी दादी माँ मेरे लिए रंग-बिरंगी चूड़ियाँ लाई थीं। मैं तब छोटी थी, शायद कक्षा 2 में। मेरी दादी माँ, जो हमेशा सफेद साड़ी पहनती हैं और जिनके बाल दूध जैसे सफेद हैं, उनकी आँखों में मेरे लिए ढेर सारा प्यार झलकता था। वह दिन मुझे इसलिए खास याद है क्योंकि उस दिन मैं थोड़ी उदास थी। मेरा एक खिलौना टूट गया था और मैं रो रही थी। दादी माँ ने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरे आँसू पोंछे। उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई, एक बहादुर राजकुमारी की कहानी जो कभी हार नहीं मानती। कहानी सुनते-सुनते मैं कब हँसने लगी, मुझे पता ही नहीं चला। कहानी खत्म होने के बाद, उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू में से वह सुंदर चूड़ियाँ निकालीं। वे इतनी चमकीली थीं कि मेरी आँखें चौंधिया गईं। उन्होंने कहा, "मेरी प्यारी बिटिया, यह चूड़ियाँ तुम्हारी उदासी को दूर भगा देंगी और तुम्हें हमेशा खुश रखेंगी।" मैंने खुशी-खुशी चूड़ियाँ पहन लीं और अपनी टूटी हुई खिलौने की उदासी भूल गई। दादी माँ हमेशा ऐसे ही करती हैं। जब भी मैं दुखी होती हूँ, या पढ़ाई में कोई मुश्किल आती है, तो वह मुझे हिम्म...