माँ तो होती है त्याग और ममता की मूरत
दया, क्षमा, करुणा और प्रेम की सूरत।जग भर का प्रेम रखती अपने में समाएमनाती कि दुःख बच्चे को न स्वप्न में भी सताए।।
अपनी नींद भुलाकर बच्चे की नींद सोएहर पल करे यत्न कि बच्चा तनिक न रोए।छोटे से कष्ट में भी बच्चा गर पड़ जाएतो सारी रात फिर करवटों में दे बिताए।।
बच्चे के स्वप्नों को लेती अपनी आँखों में बसाएफिर उन्हें पूरा करने में, भले उम्र निकल जाए।खुश होती है बहुत, जब बच्चा मंज़िल को पा जाएदिल से निकलती हैं दुआएँ, आँखें खुशी से छलछलाए।।
वेद, पुराण, इतिहास बिना उसके पूरे न कहलाएत्रिलोक की संपत्ति भी उसका कर्ज़ चुका न पाए।उसकी महिमा के आगे खड़े कोटि देव सर झुकाए
माँ की महानता के ब्रह्मा भी गुण गाए।।
ब्रह्मा भी गुण गाए।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें