सपना और सच
सपने में देखा मैंने एक सपना
वर्ष 2020 का जश्न मना रहा है देश अपना।
रामधुन पर लोग खुशी से झूम रहे हैं,आज़ाद, सुभाष, भगतसिंह के चित्रों से घर सज रहे हैं
चारों तरफ़ हरे-भरे खेत लहलहा रहे हैं,गाय-भैंसों के संग ग्वाले नज़र आ रहे हैं,
हिंदू-मुस्लिम-सिक्ख मिल, प्रेम का राग गा रहे हैं हर घर में खीर-पूरी-कचैड़ी खाए जा रहे हैं।
पर अचानक खुल गई आँख, सपना टूट गयासोचा 2020 की तस्वीर तो कुछ और ही होगी
तब लोग कोल्डड्रिंक और बर्गर लिए हाथों में,मैडोना, जैक्सन बन, सिगरेट के धुएँ उड़ाएँगे,
जाम में फँस, धुएँ को पीते, रोगों का घर बन जाएँगे,दमघोंटू फ्लैटों में जीते, खुद के साये से डरते नज़र आएँगे,
पत्थर की दुनिया से ऊबे, हरियाली की चाह में
हरे रंग से दीवारें पुतवाएँगे!
हरे रंग से दीवारें पुतवाएँगे!
हरे रंग से दीवारें पुतवाएँगे!
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