सिर्फ़ हिंदुस्तानी कहलाएँगे
बम और मिसाइलें बहुत चल चुकीं ,अबसबको प्रेम की भाषा हम सिखलाएँगे।
रावण, कंस तो पैदा हुए हैं हर युग में,पर साथ में राम और कृष्ण को भी बुलाएँगे।
उन्नति की डगर में, संस्कृति को पीछे छोड़ चुके,अब फिर वही गंगा-जमुनी संस्कृति को बहाएँगे।
सीमा पर तो पहरे बहुत देते रहे हैं,पर अब आंतरिक समस्या को भी निबटाएँगे।
सभ्यता के नाम पर, पश्चिम का करते रहे अनुकरण,अब पूरब की सभ्यता के आगे, दुनिया को झुकाएँगे।
जाति-धर्म के नाम पर, देश बँट चुका बहुत,2020 में हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख नहीं, सिर्फ़ हिंदुस्तानी कहलाएँगे।
सिर्फ़ हिंदुस्तानी कहलाएँगे।
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