तैमूर अली खान
सबसे पहले तो करीना और सैफ को पुत्र-रत्न की बधाई! आमतौर पर जब बच्चे का जन्म होता है तब नाते-रिश्तेदार, बड़े-बुज़ुर्ग, पंडित आदि नवजात शिशु के लिए बहुत-से नाम सुझाते हैं। अनेक बार शिशु के माता-पिता स्वयं भी पहले से ही नाम चुनकर रखते हैं। शायद करीना-सैफ के शिशु के मामले में भी कुछ ऐसा ही हो, तभी तो उन्होंने पुत्र-रत्न की प्राप्ति होने के बाद उसके नाम की घोषणा करने में ज़्यादा वक्त नहीं लिया। और नाम भी कुछ साधारण नहीं, बल्कि ऐसा जिसने सोशल मीडिया में हलचल पैदा पैदा कर दी। नाम अप्रचलित या सर्वथा नया नहीं है, बल्कि चौदहवीं शताब्दी में उज्बेगिस्तान में जन्मे एक शासक के नाम पर है। पर इस शासक की गणना संसार के सबसे क्रूर और निष्ठुर शासकों में की जाती है, नाम है-तैमूर।
फिर भला सैफ-करीना को अपने पुत्र के लिए यही नाम क्यों सूझा? इसका उत्तर तो वही दे सकते हैं। अपने बच्चे के नाम का चुनाव करना प्रत्येक माँ-बाप का अधिकार है। पर हम तो इतना ही कहेंगे कि या तो इतिहास के पन्नों में स्याह अक्षरों में दर्ज़ इस शासक के विषय में इन्हें कोई जानकारी नहीं है या फिर अति उत्साह में कुछ नयापन करने के इच्छुक इस दंपति ने जान-बूझकर यह कदम उठाया है।
वैसे कारण चाहे कोई भी हो, पर हमें तो लगता है कि जब परंपराओं को तोड़ने के आदी ये सैलिब्रिटी समाज के सामने इस तरह के उदाहरण प्रस्तुत करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब इन सैलिब्रिटिज का अंधानुकरण करने वाले, अपने कारनामों से सनसनी फैलाने के इच्छुक, अति उत्साही लोग भी अपने बच्चों के नाम राम और कृष्ण की बजाय रावण और कंस रखने लगेंगे।
वैसे तो विलियम सेक्सपियर ने भी कहा है, ‘‘नाम में क्या रखा है? अगर हम गुलाब को कुछ और कहेंगे तो भी उसकी सुगंध उतनी ही मधुर होगी।’’ पर जब कोई अपने बुरे एवं निकृष्ट कर्मों से अपने आपको बुराई का पर्याय बना लेता है तो लोग न सिर्फ़ उसके व्यक्तित्व बल्कि उसके नाम से भी घृणा करने लगते हैं। खैर, जान-बूझकर या अनजाने में ही सही करीना-सैफ ने नाम का जो नया ट्रेंड प्रारंभ किया है, देखें, आगे वह क्या रंग लाता है?
हम तो उम्मीद रखते हैं कि या तो करीना-सैफ बहुत जल्द-ही अपने पुत्र के लिए किसी अन्य नाम की घोषणा कर देंगे या उनका बेटा जिस दिन इतिहास पढ़ने की उम्र में आएगा, वह स्वयं ही अपना नाम बदल लेगा। या इसका एक अन्य सुखद पहलू यह भी हो सकता है कि इनका पुत्र तैमूर अपने उत्तम आचरण एवं व्यक्तित्व से शायद कुछ ऐसा उदाहरण पेश करे कि लोग इतिहास में आतंक के पर्याय बने तैमूर लंग के बुरे कारनामों की वजह से इस नाम से घृणा करना छोड़कर तैमूर अली खान के अच्छे कार्यों की वजह से इस नाम से प्रेम करने लगें।
खैर, अभी तो सब भविष्य के गर्त में है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें