‘बिन पानी सब सून’
आप दो स्थितियों पर कल्पना करें-पहली, आपके नल में यकायक पानी चला जाए और आपने पहले से समुचित पानी का भंडारण भी न किया हो और जल-निगम की ओर से सूचना आ जाए कि किसी गड़बड़ी के कारण दो दिनों तक पानी की आपूर्ति नहीं हो सकेगी। सोचिए, उस समय आप क्या करेंगे? पहले से जो पानी घर में है, उसे बहुत सोच-समझकर उपयोग में लाएँगे। साथ ही इधर-उधर से पानी जुटाने में अपना महत्त्वपूर्ण समय और शक्ति खर्च करेंगे।
दूसरी स्थिति, यदि पर्याप्त बारिश न होने के कारण जल का स्तर काफ़ी नीचे चला जाए और सरकार आपको पीने लायक पानी उपलब्ध कराने में भी असमर्थ हो रही हो, तो?............। शायद आप महँगे से महँगे दाम में भी पानी खरीदने पर विवश होंगे और जो जल घर में है, उसकी एक-एक बूँद को अमृत की तरह सहेजकर रखेंगे।
दोस्तो! ये सिर्फ़ काल्पनिक किस्से नहीं हैं। यदि हमने पानी की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया और हम समय पर नहीं चेते तो ये किस्से हकीकत में बदलते समय नहीं लगेगा।
अब हम ज़रा कल्पना से निकलकर सच्चाई की ओर रुख करें तो देखते हैं कि जब हमारे घरों में समुचित जल आपूर्ति हो रही है, ऐसे में हम हज़ारों लीटर पानी व्यर्थ बरबाद करते हैं, क्योंकि इस समय हमें अपने घर में पानी की कोई कमी दिखाई नहीं पड़ रही है।
हम पानी के मामले में यह रुख क्यों अपनाते हैं कि जब परेशानी होगी, तब-की-तब देखा जाएगा। जबकि अन्य बहुत-से मामलों में तो हम पहले से ही बड़े सजग रहते हैं। बड़े आश्चर्य की बात है कि हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए धन-दौलत, ज़मीन-जायदाद जमा करते हैं, जिससे उन्हें अपने जीवन में संघर्ष न करना पड़े, पर हम उनके लिए जल जमा करना भूल जाते हैं। और सोचते हैं कि यदि उनके पास धन होगा तो उन्हें जल की कमी से होने वाली समस्या से सामना नहीं करना पड़ेगा। पर सोचकर सोचें कि जब धरती पर जल ही नहीं होगा तो वे उस धन का भला क्या करेंगे? धन के बिना तो उनका जीवन चल जाएगा, पर जल के बिना जीवन तो बहुत दूर की बात है एक घंटा निकालना भी मुश्किल है। अतः हमें भावी पीढ़ी को सुविधाजनक जीवन देना है तो उसे पानी का उपहार दें, क्योंकि-
‘‘बिना जल, जीवन विकल।
देख न सकोगे, आने वाला कल।।’’
‘जल का सही उपयोग’ जैसे विषय विद्यालयी शिक्षा का आवश्यक अंग होने चाहिए। छात्रों को यह ज्ञान होना आवश्यक है कि पानी की प्रत्येक बूँद का हमारे जीवन में क्या मूल्य है? कम वर्षा होने पर क्या करना चाहिए? हमें जल का संरक्षण कैसे करना चाहिए? इत्यादि।
आज लोगों को तकनीक पर अधिक भरोसा है। उन्हें लगता है कि गहरे तक पाइप डालकर हम अपने घरों में समबरसेबिल से पानी आसानी से प्राप्त कर लेंगे। पर ऐसा आखिर कब तक हो पाएगा? नीचे का पानी भी आखिर कब तक साथ देगा........ये वाकई विचारणीय है।
हमें पानी के सही उपयोग और प्रबंधन के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए-
1-ऐसी फसलें जिन्हें अधिक पानी की आवश्यकता है, उन्हें कम वर्षा वाली जगह पर न लगाकर उन स्थानों पर लगाना चाहिए, जहाँ वर्षा पर्याप्त मात्रा में होती है।
2-जहाँ अधिक वर्षा होती है, वहाँ वर्षा जल का समुचित रूप में भंडारण किया जाए फिर उसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पहुँचाने की उचित व्यवस्था की जाए।
3-वैज्ञानिकों को ऐसी तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए, जिससे कृत्रिम वर्षा हो सके।
4-कृषि वैज्ञानिकों को कम पानी में फसलें उगाने की नई-नई तकनीकें विकसित करने के लिए सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
5-तालाब, नहरों, जलाशयों का अधिकाधिक निर्माण करवाया जाए और उसमें एकत्र वर्षा के पानी की सुरक्षा एवं स्वच्छता का सही प्रबंध हो, क्योंकि हम देखते हैं कि यदि कहीं तालाब या नहरें हैं भी तो उनका जल अत्यंत प्रदूषित है।
6-पेड़-पौधों के रोपण के लिए देशव्यापी कार्यक्रम चलाए जाएँ, क्योंकि पेड़-पौधों की जड़ें पर्याप्त मात्रा में जल शोषित करके धरती के नीचे जल का स्तर बढ़ाने में सहायक होती हैं।
7-समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाने की दिशा में भी कारगर उपाय होने चाहिए।
अंत में यह तो स्पष्ट है कि हम कृत्रिम अंग बना सकते हैं, कृत्रिम फल-सब्जियाँ बना सकते हैं, पर कृत्रिम जल नहीं बना सकते। इसके लिए तो हमें ईश्वर-प्रदत्त वर्षा जल पर ही निर्भर रहना होगा। अतः यह जानते हुए भी यदि हम पानी की बरबादी करते रहे, तो हम किस श्रेणी में गिने जाएँगे, यह हमें सोचना चाहिए।
आइए, हम विवेकवान मानव की श्रेणी में ही गिने जाएँ, इसके लिए आज से ही पानी की प्रत्येक बूँद को अमूल्य धन की तरह, समझदारी और किफ़ायत से खर्च करने का संकल्प लें। अपने आस-पास हो रही पानी की बरबादी को रोकने के लिए स्वयं भी प्रयत्नशील रहें और दूसरों को भी इस मुद्दे पर जागरूक करने का प्रयास करें, क्योंकि-
‘‘जल ‘जीवन’ का है पर्याय, इसे बचाने का करो उपाय।’’
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें