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हास्य कथा ‘मुफ़्तखोर मित्र की दावत’

मुफ़्तखोर मित्र की दावत

हम चार मित्र हैं। हममें से एक मित्र को मुफ़्त में दावतें उड़ाने का बहुत शौक था। जहाँ भी दावत होती देखता, वहीं बिन बुलाए पहुँच जाता और मज़े से दावतें उड़ाता। हम तीनों उसकी मुफ़्तखोरी की इस आदत से बहुत परेशान थे, क्योंकि वह हमें भी कई बार चूना लगा चुका था। होटल में खाना खाकर जब भी बिल चुकाने का नंबर आता तो वह कोई-न-कोई बहाना बनाकर वहाँ से खिसक जाता।
एक दिन हम तीनों ने उसे सबक सिखाने की ठानी। मैंने उससे कहा कि मेरे पड़ोस में जो शर्माजी रहते हैं, कल ईडन गार्डन होटल में उनके बेटे की शादी है। सुना है, बहुत शानदार दावत का इंतज़ाम है। शहर के सुप्रसिद्ध होटल में शादी की दावत सोचकर ही उसके मुँह में पानी आ गया। मैंने कहा, चाहो तो तुम तीनों भी मेरे साथ चल सकते हो। बाकी दोनों मित्र तो मेरी योजना से परिचित थे ही, सो उन्होंने तुरंत हामी भर दी और मुफ़्तखोर मित्र को तो जैसे मुँह माँगी मुराद ही मिल गई।
अगले दिन दावत में पहुँचकर मुफ़्तखोर मित्र ठूँस ठूँसकर खाने लगा। जैसे ही वह भीड़ में मिठाई लेने घुसा, वैसे ही हम सभी मित्र वहाँ से खिसक लिए। वहाँ एक रोबीले, लंबे-चैड़े सज्जन थे, जो सब ओर घूम-घूमकर व्यवस्था देख रहे थे। हमने अपने मित्र की ओर संकेत करते हुए उनसे कहा कि चैक की शर्ट पहने जो लड़का गुलाब-जामुन ले रहा है, वह हमें बिन-बुलाया मेहमान लग रहा है। बस, फिर क्या था, उन सज्जन ने उसे पकड़ लिया और लगे पूछताछ करने। उसने बताया कि मैं दूल्हे का मित्र हूँ, पर जैसे ही उन्होंने दूल्हे का नाम पूछा, उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई, क्योंकि उसने मुझसे दूल्हे का नाम पूछने की ज़रूरत ही नहीं समझी थी। उसने शायद इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि ऐसी शर्मनाक स्थिति भी आ सकती है। अब उस डूबते के लिए मैं ही तिनके का सहारा बन सकता था, सो उसकी नज़रें मुझे ढूंढ़ने लगीं। पर भला उसे फँसाकर हम वहीं खड़े रहने की हिम्मत कैसे कर सकते थे। हम तो दूर छिपे तमाशा देख रहे थे। उन सज्जन को भी शादी में आए मेहमानों के सामने अपनी ठसक दिखाने का मौका हाथ लग चुका था, अतः उन्होंने अवसर न चूकते हुए सबके सामने पहले उससे कान पकड़वाकर उठक-बैठक लगवाई और फिर धमकी देकर बाहर निकाल दिया।
उन सज्जन को अपने बिन-बुलाए मित्र की सूचना देने वाले तो हम ही थे, अतः हमने किसी भी चक्कर में फँसने से पहले ही वहाँ से रफूचक्कर हो जाना उचित समझा। उसने मोबाइल पर हमसे कहा कि घर से फोन आया है, इसलिए मुझे शीघ्र घर जाना पड़ रहा है। उसने शर्मिंदगी से बचने के लिए उस घटना की कोई चर्चा नहीं की। उसने सोचा होगा कि हम किसी और स्टाॅल पर कुछ खा रहे होंगे, अतः हमें उस घटना के बारे में कुछ भी पता नहीं है।
पर, जो कुछ हो। इस घटना के बाद से उसकी मुफ़्त में दावतें उड़ाने की आदत पर तो विराम लग ही गया।
Images - Shutterstock से साभार 

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