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हास्य कविता on politics ‘जोगीरा सारारारा’.................


हास्य कविता on politics 

‘जोगीरा सारारारा’...



मोदी के दरबार में, भई विधायकों की भीड़।
राहुल अखिलेश गुमसुम हुए, 
उठी मन में टीस।।
जोगीरा सारारारा.............................................

गठबंधन कुछ काम न आया, 
वोटों से हुए फकीर।
औंधे मुँह अब गिरे.पड़े, 
लिपटाए कमल की कीच।।
जोगीरा सारारारा............................................

डिंपल भाभी दे रहीं  तसल्ली, 
भर.भर नैनों में नीर।
पर नमो का हँसता चेहरा, 
अखिलेश की बढ़ा रहा पीर।।
जोगीरा सारारारा............................................

अखिलेश भैया हैरत में सोचें, 
रैलियों में तो थी भारी भीड़।
जनता हँसकर बोली हम तो थे, 
पप्पू को देखने को अधीर।। 
जोगीरा सारारारा...........................................

लैपटाप बाँटना काम न आया, 
एक्सप्रेस वे ने भी नहीं लुभाया।
यू0 पी0 की जनता को बूझने का, 
भैया कर रहे प्रयास गंभीर।।
जोगीरा सारारारा............................................

मणिपुर में नारियल का पेड़ खड़ा, 
हो रहा बहुत उदास।
मेरे जूस को राहुल बाबा, 
अब कैसे करेंगे निर्यात।।
जोगीरा सारारारा...........................................

कांग्रेस के दफ़्तर पर लटका, सोचे अलीगढ़ का ताला।विदेश का झाँसा देकर अपने, घर पर ही लटका डाला।।
जोगीरा सारारारा............................................

राहुल अखिलेश को दे रहे, 
पीठ पर हाथ फेर तसल्ली।
जिम में 56 इंच सीना कर, 
जंग में फिर उतरेंगे जल्दी।।
जोगीरा सारारारा............................................

मायावती की माया गई, अखिलेश का छिन गया राज।
पंचर साइकिल रख हाथी पर, 
राहुल रहे हाथ छिपात।। 
जोगीरा सारारारा............................................

घर की कलह पर सपा से, 
जनता का उठा विश्वास।
जो पिता का न हुआ, 
उससे कैसे करें हम आस।।
जोगीरा सारारारा.............................................

मोदी की नीति छा गई, 
सबका साथ सबका विकास।
जनता के मन में जागा फिर, 
राम-राज्य का विश्वास।।
जोगीरा सारारारा............................................

राहुल के दुर्भाग्य ने किया, अखिलेश का भी बंटाधार।
हम तो डूबे हैं सनम, 
तुमको भी न लगने देंगे पार।।
जोगीरा सारारारा............................................

राहुल बाबा के भोलेपन ने, 
उनसे बहुत कुछ बुलवाया है।
किसानों से दरियाँ बनवाईं, 
मिशेल से खाना पकवाया है।।
जोगीरा सारारारा............................................

दोनों नवयुवकों की कश्ती को, 
मिली न कोई रास (रस्सी)
दोनों बेचारे डूब रहे, 
माया देख रहीं होके उदास।।
जोगीरा सारारारा............................................



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