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हिंदी कविता होली का त्योहार मनाएँ




होली का त्योहार मनाएँ

आओ हम सब धूम मचाएँ, होली का त्योहार मनाएँ।
रंग भरे गुब्बारे लाएँ, धरती को संतरंग बनाएँ।

देखो टब में घुला हुआ है, लाल, गुलाबी, नीला पानी,
पिचकारी में आओ भरें हम, रंग सुनहरा, पीला, धानी।
सारे शिकवे आज भूल के, दुश्मन को भी गले लगाएँ
आओ हम सब धूम मचाएँ, होली का त्योहार मनाएँ।

पुते बिना रहने न पाएँ, भैया-भाभी, मामा-मामी,
आज किसी की नहीं चलेगी, हो चाहे दादी या नानी।
छोटे-बड़े का भेद मिटा के, मस्ती में सब झूमें गाएँ,
आओ हम सब धूम मचाएँ, होली का त्योहार मनाएँ।

अपने-अपने घर से निकलीं, नन्नू, और नोनी की टोली,
दही बड़ों में मिला रहा है, कन्नू चुप-चुप भांग की गोली।
पहले पिएँ सब ठंडाई, फिर मीठी गुजियाँ, मठरी, खाएँ,
आओ हम सब धूम मचाएँ, होली का त्योहार मनाएँ।


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