गुरु की महिमा ‘ बिनु गुरु होय न ज्ञान ’ अर्थात् बिना गुरु के ज्ञान नहीं प्राप्त होता। ‘ गु ’ शब्द का अर्थ है - अंधकार , तथा ‘ रु ’ शब्द का अर्थ है - अंधकार का निरोधक। अर्थात् अंधकार को दूर करने वाले को गुरु कहा जाता है। गुरु ही हैं जो अज्ञान के अंधकार को मिटाते हैं , गुरु ही हैं जो सही और गलत का भेद बताते हैं , गुरु ही हैं जो सच्चा मार्ग दिखलाते हैं , गुरु ही हैं जो भवसागर से तारते हैं और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यही कारण है कि गुरु की महिमा के गीत गाये जाते हैं और उन्हें सर्वोपरि स्थान दिया जाता है - ‘‘ सतगुरु की महिमा अनंत , अनंत कियो उपकार। लोचन अनंत उघाड़िया , अनंत दिखावण हार।। ’’ कबीरदास जी ने तो गुरु की महिमा का बखान करते हुए उन्हें ईश्वर से भी प्रमुख स्थान दिया है - ‘‘ गुरु गोबिन्द दोउ खड़े , काकै लागूँ पाँय। बलिहारी गुरु आपणैं , गोबिन्द दियो बताय। ’’ उन्होंने ऐसा इसलिए कहा है , क्योंकि एक सच्चा गुरु ही...