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HINDI NIBANDH ON प्रदूषण

प्रदूषण

आज़ादी के बाद से हमारे देश ने अनेक क्षेत्रों में बहुत सफलता प्राप्त की है, अनेक समस्याओं से देश को आज़ाद कराया है। परंतु यह भी सत्य है कि जिस प्रकार उद्योग, विज्ञान, तकनीक आदि के क्षेत्रों में उन्नति हुई है, उसी अनुपात में प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है। आज प्रदूषण न सिर्फ भारत, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए एक खतरा बन गया है। इसीलिए हर ओर से यही आवाज़ उठ रही है-

‘‘आओ, मिलकर प्रदूषण को दूर भगाएँ।।
चलो, धरती को फिर से स्वर्ग बनाएँ।’’

प्रदूषण का अर्थ-

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी। प्रदूषण शब्द ‘दूषण’ शब्द में ‘प्र’ उपसर्ग लगाने से बना है। दूषण का अर्थ होता है-खराब, गंदा, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक। यही कारण है कि सभी प्रकार का प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

प्रदूषण के प्रकार-



प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जैसे-ध्वनि प्रदूषण, जो कि बहुत शोर-शराबे से फैलता है, भूमि प्रदूषण, यह खेती करते समय रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग तथा प्लास्टिक, पाॅलीथिन, कचरे आदि से फैलता है, जल प्रदूषण, यह फैक्ट्री आदि के अवशिष्ट पदार्थों को नदी में डालने, कूड़ा-कचरा नदी-नालों में फेंकने से बढ़ता है, वायु प्रदूषण, यह फैक्ट्रियों एवं वाहनों से निकलने वाले धुएँ से उत्पन्न होता है।

प्रदूषण के कारण-

प्रदूषण के अनेक कारण हैं-
1-वाहनों का अत्यधिक प्रयोग करना। वाहनों की नियमित जाँच न होना।
2-ज्यादातर ठोस अपशिष्ट, कचरा और अन्य अनुपयोगी वस्तुओं को नष्ट न करके भूमि या जल में फेंक देना।
3-घनी आबादी वाले स्थानों पर फैक्टरियों, कारखानों और उद्योगों को लगाने की अनुमति देना।
4-बड़े सीवेज सिस्टम से गन्दा पानी, घरों से अन्य कचरा, कारखानों और उद्योगों से निकले पदार्थों को सीधे नदियों, झीलों और नालों में बहाना।
5-खुशी के अवसर, जैसे-जन्मदिन, विवाह आदि के दौरान डी0 जे0 आदि लगाकर शोर करना।

प्रदूषण का प्रभाव या परिणाम-

1-प्रदूषण एक प्रकार का अत्यंत धीमा जहर है, जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके उसे मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों से ग्रस्त कर रहा है।
2-यह मनुष्य ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही विश्व में बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, आदि इस संसार से विलुप्त हो गए हैं, उनका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है।
3-प्रदूषण नित्य ही अनेक भयानक बीमारियों को जन्म दे रहा है। कैंसर, तपेदिक, रक्तचाप, शुगर, दमा, हैजा, मलेरिया, चर्मरोग, नेत्ररोग और स्वाइन फ्लू आदि भयानक रोग प्रदूषण की ही देन हैं।
4-दूषित जल, दूषित भोजन तथा अशुद्ध वायु प्रदूषण का ही परिणाम है।
5-प्रदूषण के कारण औसत आयु कम हो रही है। अनेक लोग असमय ही मौत के मुँह में समा रहे हैं।
6-हमारा मौसम-चक्र अनियमित हो गया है, अब गर्मी के दिनों में ज़्यादा गर्मी, बेवक्त की बरसातें हमें अकसर सताती रहती हैं।
7-प्रदूषण का असर न सिर्फ़ मानव, वनस्पति आदि पर ही दिखाई दे रहा है, बल्कि जानवर भी असामान्य तथा हिंसक व्यवहार करने लगे हैं। कुत्ते, बंदर आदि अनेक जानवरों का व्यवहार प्रदूषण के कारण प्रभावित हुआ है। यही कारण है कि इनके द्वारा काटे जाने की घटनाओं में दिनोंदिन बढ़ोत्तरी हो रही है।

सुधार के उपाय-

1-विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएँ, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों।
2-कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।
3-पुनः उपयोग, रिचार्ज और रीसायकल जैसी आदतों को लागू किया जाना चाहिए।
4-ऊर्जा संरक्षण की आदत डालें। टीवी, लैपटॉप, स्टीरियो आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जिस समय आप उपयोग न कर रहे हों, उन्हे बंद कर देना चाहिए।
5-एयर कंडीशनिंग के उपयोग को कम कर दिया जाना चाहिए क्योंकि वे सीएफसी जैसे हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन करते हैं जो कि पर्यावरण के लिए खतरनाक होते हैं। अतः पर्यावरण की दिशा में योगदान करने के लिए ऊर्जा की बचत करने वाले उपकरणों, जैसे-एलईडी बल्ब, ट्यूबलाइट आदि का उपयोग करना चाहिए।
6-एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल वाहनों, जैसे-ई-रिक्शा और साइकिल जैसे वाहनों का प्रयोग करना चाहिए।
7-कोयले जैसे ईंधन को त्यागकर सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों को अपनाना चाहिए।
8-नदियों में कारखानों का गन्दा कचरा जाने से रोकना चाहिए।
9-घरों तथा फैक्टरियों में ऊँची चिमनियाँ बनानी चाहिए जिससे धुआँ ऊपर की ओर जाए।
10-हानिकारक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से बचना चाहिए।
11-ऐसी कोई भी गतिविधि जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है उसका मिलकर विरोध करना चाहिए।
12-स्कूली पाठ्यक्रम में ‘पर्यावरण संरक्षण’ का विषय अवश्य जोड़ना चाहिए।
13-देश-भर में विभिन्न वर्कशाॅप, सेमीनार, जागरूकता अभियान, विभिन्न प्रतियोगिताएँ आदि आयोजित की जानी चाहिए।
14-प्रदूषण के खिलाफ़ काम करने वाले लोगों, कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि को सम्मानित किया जाना चाहिए।
15-प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों का पुरज़ोर विरोध करना चाहिए तथा ऐसे लोगों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
16-इलैक्ट्राॅनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया आदि को भी सकारात्मक भूमिका अदा करनी चाहिए।

निष्कर्ष-

इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रदूषण पूरे विश्व के लिए चिंता का एक विषय बन गया है। यदि जल्दी ही इसका हल नहीं निकाला गया, तो हमें बहुत पछताना पड़ेगा।

‘‘धरती की है यही पुकार, मैं चाहती रहना आबाद।
अपने स्वार्थ में फँसकर, मत करो मुझको बरबाद।।’’


यह हमारे आज के लिए ही खतरनाक नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य के लिए भी बहुत घातक है। यह भी सत्य है कि इसका हल एक-दो दिन में या एक-दो लोगों के प्रयास से नहीं निकल सकता, बल्कि इसके लिए संपूर्ण मानव समाज को मिलकर निरंतर प्रयास करना होगा। और संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका यदि मानव ने चाहा तो हल न निकल पाया। अतः हमें आशा रखनी चाहिए कि इसका भी हल अवश्य निकलेगा। पर, सबसे पहले हमें अपनी तरफ़ से पहल करनी चाहिए कि हम कोई ऐसा कार्य नहीं करेंगे, जिससे पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान हो। इसके लिए ज़रूरी है कि हम सभी को पर्यावरण संरक्षण की आदत को अपनी जीवन-शैली से जोड़ देना चाहिए।






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