क्षमा वीरस्य भूषणम्
पर्युषण महापर्व जब है आता, अंतःकरण पावन कर जाता।
क्षमा दान है महादान, ये जियो-जीने दो का भी पाठ पढ़ाता।
भुलाकर बैर भाव सब पिछले, जो मन का सारा मैल बहाता।
सच्ची है उसकी क्षमा प्रार्थना, जो भूलों पर दिल से पछताता।
शुरुआत हम खुद से करते, माँग रहे हैं क्षमा जोड़ दोउ हाथा।
शुद्ध भाव धर हर प्राणी को, जो क्षमा करे वो ही सच्चा दाता।।
Nice
जवाब देंहटाएंAacha hai!!! Loved it.
जवाब देंहटाएंKeep this hard work !
जवाब देंहटाएंVery nice article 👌👍
जवाब देंहटाएंLive and let live 🦁
जवाब देंहटाएंउत्तम क्षमा भाव
जवाब देंहटाएं👍
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