नेता जी बड़े चालबाज हैं,
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
वादों का बड़ा पिटारा खोलें,
जनता को वोटों में बस तोलें।
दिखते जनता के सच्चे सेवक,
पर इनके जैसा न कोई शोषक।।
चुनाव के पहले दिखें सीधे-सादे,
करते जनता के हित के वादे।
पर कुर्सी मिलते ही बदलें रंग,
भूल जाएं जनता का संग।
अपने भाई-भतीजों का ही बस,
करते रहते हरदम ये उद्धार।
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
बोलें गरीबी मिटा देंगे हम,
हर घर विकास पहुँचाएँगे।
पर चुनाव में जाते जब जीत
पाँच साल तक दर्शन न देते।
बस अपना घर नोटों से भरते,
जनसेवक बन जनता को ठगते।
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
नेता हर दिन करते नया ही नाटक,
कभी धरना, अनशन, तो कभी भाषण।
सच पूछो तो इनकी सब बातें,
बस होती हैं लुभावना आकर्षण।
जो वादे करके उन्हें पूरा कर दे,
उसको भला कोई नेता कैसे समझे।
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
जनता से कहें, "देश है महान,
इसके लिए लुटा दो तुम जान।"
पर अपने लिए शीशमहल बनवाते,
थाइलैंड में जाकर मौज उड़ाते।
स्विस बैंकों में खाता खुलवाते,
नोटों से अपनी ये सेज सजाते।
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
जनता के बनते हैं सच्चे सेवक,
उनकी सेवा को कहते अपना धर्म।
पर चुनाव के बाद भुला देते फ़र्ज़,
बस आकाओं की सेवा हो जाता लक्ष्य।
सबको अपने झाँसे में फँसाते,
जनता को बरगला के मन में इतराते।
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
नेता जी की यही कहानी है,
वादे करना उनकी निशानी है।
जनता समझे अब इनकी चाल,
नेता जी का कर दे हाल बेहाल।
जो जनता के हित की करेगा बात,
उसका ही देंगे सब मिल साथ।
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
जब जनता समझेगी अपने अधिकार,
तब नहीं गलेगी नेता की कोई दाल।
नेता को सबक सिखाना होगा,
संविधान का पाठ पढ़ाना होगा।
तभी नेतागिरी को सेवा समझेंगे,
अब बंद हो इनका ये व्यापार।
अब बंद हो ठगी का ये व्यापार।।
नेता जी बड़े चालबाज हैं,
बोलें मीठी-मीठी बात हैं।
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