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सास-बहू का मोबाइल महायुद्ध (लोक-शैली में मजेदार गीत)

 सास-बहू का मोबाइल महायुद्ध (लोक-शैली में)


अटरिया पे बैठी सासू बोली घमक के,

"बहू दिन भर मोबाइल चिपकाए है चमक के।

ना चूल्हा ना चौका, ना बर्तन ना बासन,

बस फोनवा में घुसी रही जैसे हो कोऊ साजन!"


बहू बोली, "सासू जी, जमाना है डिजीटल,

अब रोटियाँ भी सीखत हैं यूट्यूब से, ये है नया चलन।

तू व्हाट्सएप में भेजती फर्जी नुस्खा,

हम इंस्टा पे बनाइत हैं छोले भटूरा मसाले वाला चखा!"


सास बोली, "बेटी अब ना दे ज्ञान,

हम तो देखीं हैं तू टिकटॉक में बन गईं जान।

लिपस्टिक लगा के, चूड़ी खनकाई के,

दिन भर नाचै मोबाइल धर धर के।"


बहू हँस के बोली, "सासू जी अब सुनो,

आप भी तो टीवी के सामने बैठी बिन रुको।

'झांसी की रानी' छोड़, देखत रहो ‘सास बहू का झगड़ा’,

फिर कहो हमसे, 'बहू, तू घर का कर धंधा'!"


इधर बेटा खेत से लौटा थक हार के,

देखा दोनों लड़ रहीं मोबाइल ले कार के।

बोला, “हे भगवान! ना मैं सुदामा ना तू कृष्णा,

फोन के चक्कर में बना दिए मुझे विष्णु का अवतार।”


अब सासू को दे दी एक पुराना स्मार्टफोन,

बहू को मिल गया नया ब्रांड वाला iPhone।

दोनों बैठीं कोने में, चैट करें नैन लड़ा के,

और घर का काम? ओह! मेड आई है बहू की सिफारिश लाके!


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