(धुन: लोकगीत या भावगीत की शैली में)
इस गीत में एक मां अपनी बेटी को विदा करते समय अपने मन के भावों को व्यक्त कर रही है-
(अंतरा 1)
जा री बिटिया, जीवन पथ चलना,
मां के आंचल की छांव छोड़ चलना।
तेरे नर्म पाँवों में हों कांटे कई,
पर तू हिम्मत से हर राह चलना।
जा री बिटिया, जीवन पथ चलना...
(अंतरा 2)
घर की देहरी अब तू पार करेगी,
नई दुनिया से पहचान करेगी।
पर तू कभी संस्कार न भूलना,
हर रिश्ता सच्चे मन से निभाना।
जा री बिटिया, जीवन पथ चलना...
(अंतरा 3)
बचपन की बातें, वो तेरी हँसी,
तेरी हर लोरी अब याद आएगी।
तेरे बिना सूना सा घर लग रहा,
पर तेरा साजन घर आबाद रहे।
जा री बिटिया, जीवन पथ चलना...
(अंतरा 4)
जब भी लगे तू थक सी गई है,
मां की दुआ तेरे संग कहीं है।
अपनेपन से तू दीप जलाना,
हर अंधेरे को उजियारा बनाना।
जा री बिटिया, जीवन पथ चलना...
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