मोबाइल महिमा
सुबह-सुबह आँखें खुलते ही, मोबाइल को हम पाते हैं,
बिना ब्रश किए पहले, नोटिफिकेशन चेक कर जाते हैं।
बिस्तर में ही फेसबुक, व्हाट्सएप का दौर चलता है,
चाय ठंडी हो जाए चाहे, पर स्क्रीन से प्यार पलता है।
नाश्ते की टेबल पर भी, मोबाइल संग निवाला है,
घरवाले बातें करें तो, 'एक मिनट' का हवाला है।
रास्ते में चलते-चलते, मैसेज टाइप किए जाते हैं,
खंभे से टकरा जाएँ पर, इससे दूर न हो पाते हैं।
बॉस ऑफिस में लेते मीटिंग, हम तो चैटिंग में व्यस्त हैं,
वो करते मार्केटिंग की प्लानिंग, पर हम इंस्ट्रा में रत हैं।
रात को सोने से पहले, मोबाइल का आलिंगन है,
बिना इसके जीवन जैसे, सूना-सूना घर-आँगन है।
हे मोबाइल! तेरा जादू, सब जग पर ऐसा छाया है,
बिना तेरे जीवन जैसे, बिना नमक का खाना है।
इस मोबाइल के फेर में, नौकरी पर बन आई है,
बॉस का 'टास्क' भूलकर, रील्स में आँख गड़ाई है।
मोबाइल के चक्रव्यूह ने, अलग ही दुनिया बसाई है,
सारा जगत अब मुट्ठी में है, पर दिल में तन्हाई है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें