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अनुच्छेद दादी माँ

मेरी दादी माँ बहुत प्यारी हैं। उनकी उम्र लगभग 65 साल है। उनके बाल सफेद हैं और वे हमेशा एक साड़ी पहनती हैं। उनकी आँखों में बहुत प्यार और ममता है। दादी माँ सुबह जल्दी उठती हैं और पूजा करती हैं। वे हमें कहानियाँ सुनाती हैं और भजन गाती हैं। जब हम स्कूल से आते हैं, तो वे हमें गरमा गरम खाना खिलाती हैं। उन्हें खाना बनाना बहुत पसंद है और वे बहुत स्वादिष्ट पकवान बनाती हैं। दादी माँ हमें अच्छी बातें सिखाती हैं। वे कहती हैं कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, बड़ों का आदर करना चाहिए और सबकी मदद करनी चाहिए। वे हमें पढ़ाई में भी मदद करती हैं। जब हम कोई गलती करते हैं, तो वे हमें प्यार से समझाती हैं। दादी माँ को बागवानी का भी बहुत शौक है। उन्होंने अपने छोटे से बगीचे में सुंदर फूल और सब्जियाँ लगाई हैं। वे पौधों की देखभाल करती हैं और हमें भी उनके साथ काम करना सिखाती हैं। शाम को हम सब दादी माँ के पास बैठकर बातें करते हैं। वे हमें अपने बचपन की कहानियाँ सुनाती हैं, जो बहुत मजेदार होती हैं। दादी माँ के साथ समय बिताना मुझे बहुत अच्छा लगता है। वे मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और मैं उनसे बहुत प...
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मेरी प्यारी दादी Meri pyaari dadi

मेरी दादी  मुझे आज भी याद है वह दिन, जब मेरी दादी माँ मेरे लिए रंग-बिरंगी चूड़ियाँ लाई थीं। मैं तब छोटी थी, शायद कक्षा 2 में। मेरी दादी माँ, जो हमेशा सफेद साड़ी पहनती हैं और जिनके बाल दूध जैसे सफेद हैं, उनकी आँखों में मेरे लिए ढेर सारा प्यार झलकता था। वह दिन मुझे इसलिए खास याद है क्योंकि उस दिन मैं थोड़ी उदास थी। मेरा एक खिलौना टूट गया था और मैं रो रही थी। दादी माँ ने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरे आँसू पोंछे। उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई, एक बहादुर राजकुमारी की कहानी जो कभी हार नहीं मानती। कहानी सुनते-सुनते मैं कब हँसने लगी, मुझे पता ही नहीं चला। कहानी खत्म होने के बाद, उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू में से वह सुंदर चूड़ियाँ निकालीं। वे इतनी चमकीली थीं कि मेरी आँखें चौंधिया गईं। उन्होंने कहा, "मेरी प्यारी बिटिया, यह चूड़ियाँ तुम्हारी उदासी को दूर भगा देंगी और तुम्हें हमेशा खुश रखेंगी।" मैंने खुशी-खुशी चूड़ियाँ पहन लीं और अपनी टूटी हुई खिलौने की उदासी भूल गई। दादी माँ हमेशा ऐसे ही करती हैं। जब भी मैं दुखी होती हूँ, या पढ़ाई में कोई मुश्किल आती है, तो वह मुझे हिम्म...

चपड़ी मौसी (मज़ेदार कहानी)

चपड़ी मौसी  बिल्ली चूहे को क्यों ना पसंद करती है और शेर को बिल्ली ज़रा भी पसंद नहीं, ऐसा क्यों जानिए इस कहानी के ज़रिए बिल्ली चूहे को पसंद नहीं करती है और शेर बिल्ली को  ज़रा भी पसंद नहीं करता। ऐसा क्यों जानिए इस कहानी के ज़रिए बिल्ली को शेर की मौसी कहा जाता है। लेकिन शेर को तो बिल्ली ज़रा-भी पसंद नहीं आती। आख़िर क्यों? और ऐसा भी क्या है कि बिल्ली जैसी चालाक प्राणी नन्हे चूहे के पीछे पड़ी रहती है? प्रस्तुत है इसी मुद्दे को और रोचक बनाती जंगल की एक कहानी। बहुत पुरानी बात है। जंगल का राजा शेर बिल्ली पर बहुत भरोसा करता था। बिल्ली चपड़ी मौसी के नाम से मशहूर थी। चपड़ी मौसी शेर की सलाहकार भी थी। शेर के दरबार में चूंचूं चूहा भी था। वह शेर का मंत्री था। चूंचूं बुद्धिमान था। संकट में चूंचूं ही शेर के काम आता। चपड़ी मौसी बहानेबाज़ थी। बीमारी का बहाना लेती। एक दिन शेर ने बिल्ली से कहा, ‘चपड़ी मौसी। जब-जब हम मुसीबत में होते हैं, चूहा ही हमें उबार लेता है।’ यह सुनकर बिल्ली जल-भुन गई। मौक़ा देखकर बिल्ली चूहे से बोली, ‘पिद्दी भर के छोकरे। कसम खाती हूं।’ एक दिन तुझे ज़रूर हराऊंगी।’ चूहा मुस्कराया। प्य...

सोलह श्रृंगार कौन-कौन से हैं?

            सोलह श्रृंगार  सोलह श्रृंगार का अर्थ है-सोलह प्रकार के आभूषण, जो शरीर के अलग-अलग अंगों पर पहने जाते हैं। करवाचौथ आदि विशेष अवसरों पर महिलाएँ या नववधुएँ-ये सोलह श्रृंगार करती हैं।  सबसे पहले हल्दी-चंदन-बेसन का लेप या उबटन लगाकर महिलाएँ स्नान करती हैं। उसके पश्चात् ये सोलह श्रृंगार करती हैं। पहले स्वर्ण आभूषण या कहीं-कहीं फूलों के आभूषण बनाकर पहने जाते थे, परंतु आजकल हीरे, मोती तथा चाँदी आदि के आभूषण भी पहने जाते हैं।  करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएँ व्रत रखती हैं। करवा माता की पूजा करती हैं और उनसे अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। इस अवसर पर महिलाएँ सोलह श्रृंगार करती हैं। तो चलिए, आज हम जानते हैं कि सोलह श्रृंगार कौन-कौन से हैं- (१) मज्जन (धोना या स्नान करना) (२) चीर (कपड़े) (३) हार (गले का हार)  (४) तिलक (माथे पर लगाने वाला टीका) (५) अंजन (काजल) (६) कुंडल (कान के आभूषण) (७) नासामुक्ता (नाक का आभूषण) (८) केशविन्यास (बालों का सजाना) (९) चोली (कंचुक) (ऊपर का कपड़ा) (१०) नूपुर (पायल) (११) अंगराग (सुगंध) (१२) कंकण (...

बंदर मगरमच्छ की कहानी (दोस्ती वही, कहानी नई)

दोस्तो, आपने यह कहानी तो सुनी होगी जिसमें एक बंदर और एक मगरमच्छ की आपस में बहुत दोस्ती होती है बंदर मगरमच्छ को प्रतिदिन मीठे जामुन लाकर देता था।  एक दिन मगरमच्छ ने जामुन अपनी पत्नी को खिलाए। पत्नी ने अपने जीवन में पहली बार इतने मीठे जामुन खाए थे। उसने कहा तुम्हारा दोस्त प्रतिदिन इतने मीठे जामुन खाता है, उसका कलेजा भी कितना मीठा होगा। मुझे तो उसका कलेजा खाना है। मगर के बहुत समझाने पर भी वह नहीं मानी। आखिरकार मगरमच्छ को पत्नी हठ के आगे हार माननी पड़ी। अगले दिन वह नदी के किनारे पहुँचा तो वहाँ बंदर मीठे जामुन लेकर उसका इंतजार कर रहा था।  मगरमच्छ ने कहा, "बंदर भाई तुम्हारी भाभी यानी मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है।" बंदर ने कहा, "मुझे तो तैरना भी नहीं आता, भला मैं कैसे जा पाऊँगा।" मगरमच्छ ने कहा, "कोई बात नहीं, तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ। मैं तुम्हें ले जाऊँगा।"  बंदर मगरमच्छ की बातों में आ गया और वह उसके घर जाने के लिए उसकी पीठ पर बैठ गया। किंतु मगरमच्छ दिल का भोला था। उसने सोचा अब तो बंदर मरने ही वाला है, तो इसे सत्य बता ही देना चाहिए। उसने कहा, "बंदर भाई! ...

मोबाइल महिमा Hindi poem

मोबाइल महिमा सुबह-सुबह आँखें खुलते ही, मोबाइल को हम पाते हैं,  बिना ब्रश किए पहले, नोटिफिकेशन चेक कर जाते हैं। बिस्तर में ही फेसबुक, व्हाट्सएप का दौर चलता है,  चाय ठंडी हो जाए चाहे, पर स्क्रीन से प्यार पलता है। नाश्ते की टेबल पर भी, मोबाइल संग निवाला है,  घरवाले बातें करें तो, 'एक मिनट' का हवाला है। रास्ते में चलते-चलते, मैसेज टाइप किए जाते हैं,  खंभे से टकरा जाएँ पर, इससे दूर न हो पाते हैं। बॉस ऑफिस में लेते मीटिंग, हम तो चैटिंग में व्यस्त हैं,  वो करते मार्केटिंग की प्लानिंग, पर हम इंस्ट्रा में रत हैं। रात को सोने से पहले, मोबाइल का आलिंगन है,  बिना इसके जीवन जैसे, सूना-सूना घर-आँगन है। हे मोबाइल! तेरा जादू, सब जग पर ऐसा छाया है,  बिना तेरे जीवन जैसे, बिना नमक का खाना है। इस मोबाइल के फेर में, नौकरी पर बन आई है, बॉस का 'टास्क' भूलकर, रील्स में आँख गड़ाई है। मोबाइल के चक्रव्यूह ने, अलग ही दुनिया बसाई है,  सारा जगत अब मुट्ठी में है, पर दिल में तन्हाई है।

सास-बहू की डिजिटली नोंक-झोंक (हास्य क्षणिकाएँ)

1. बहू बोली सासू माँ, अब तो मोबाइल रख दो हाथ, रोटियाँ जल गईं इधर, आप थीं स्नैपचैट के साथ। सासू बोली – बहू! रील बना रही थी नई रसोई की, जल गई रोटी, हाय! अब मिलेगी लाइक बस सौ-पचास। 2. सास कहे – बहू!  तेरी अँखियाँ तो हैं बड़ी ही नीली, अरे! ये तो है फिल्टर की करामात, बहू हँसकर बोली। सासू माँ, अब तो डिजिटल ज़माने का ही सब खेला है, ब्यूटी पार्लर की जरूरत नहीं, इंस्टा ने रूप को बदला है। 3. बहू कहे – सासू माँ! घर की बातें अब कम किया करो, व्हाट्सएप पर मोहल्ले को न रोज़ अपडेट दिया करो। सास बोली – पगली, ये मेरी सोसायटी की फीलिंग है, जहाँ स्टेटस न बदला जाए, वहाँ बोरिंग सी लिविंग है! 4. मोबाइल स्क्रीन का लॉक हो, या वाई-फाई का पासवर्ड, बस इनके ही निर्माण में, दीखे बहू का मास्टर वर्क। लाइक्स और व्यूज बढ़ाने में, हो रही होड़ा-होड़ी, फॉलोवर्स बढ़ाने में व्यस्त है, अब सास-बहू की जोड़ी।