व्यंग्य का अद्भुत चितेरा हरिशंकर परसाई के जन्म-दिवस पर विशेष सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी का जन्म मध्य-प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी नामक गाँव में 22 अगस्त सन् 1924 को हुआ। वे उन बच्चों में से थे, जिनके सिर से अल्पायु में ही माता-पिता का स्नेह-सिक्त साया उठ जाता है। भाई-बहनों में सबसे बड़े होने के कारण जीवन की भयावह एवं कटु सच्चाइयों से उन्हें ही सामना करना पड़ा। परसाई जी का जीवन कष्टमय एवं संघर्षपूर्ण रहा। उनकी आँखों ने बाल्यकाल में ही ‘प्लेग’ जैसी महामारी की चपेट में आकर शरीर त्यागते हुए माँ के करुणांत को देखा। उन्होंने अनेक स्थानों पर नौकरी की, किंतु कहीं भी स्थायी रूप से नहीं रह सके। इसका कारण शायद यही था कि किसी भी तरह का बंधन उन्हें पसंद नहीं था। अतः उन्होंने स्वतंत्र लेखन आरंभ कर दिया और सन् 1957 में नौकरी से अंतिम एवं स्थायी विदा ले ली। लगातार संघर्षों से सामना होने पर भी उनके अदम्य साहस ने उन्हें झुकने की बजाय उन संघर्षों से सामना करने को प्रेरित किया। उन्होंने बहुत जल्दी व्यक्तिगत घेरा त्यागकर सामाजिक जीवन में विचरना प्रारंभ क...